ऐ मुंबई की बारिश

सोच रही हूं इस साल मुंबई की बारिश का मजा ले लूं
इससे दोस्ती नहीं थी
कमसे कम हाय हॅलो ही कर लूं
बारिश मेरे गांव की याद अब तक आती है
आंगन में पानी और कागज की कश्तियों की यादे उमड आती है
आंगन की तपी मिट्टी पर बारिश यूं छम से गिरती थी
वो सौंधी सी खुशबू
अब तक दिलों दिमाग में है

छत से गिरता दौडता बारिश का पानी
खिडकी से गुजरता हुवा बगिचे में भागता
गुलाब का झुमझुमकर भिगना अभी भी याद आता है

उसे देखते घंटो गुजर जाते थे
अद्रकवाली चाय मां के हाथ की
और प्यारी सी खामोशी
अब भी याद आती है

गांव छुटा तो लगा साल में अब दो ही मौसम आते है
बारिश पिछे छुट गयी
अब आसमां से पानी बरसता है

ऐ मुंबई की बारिश तू मुझे पसंद तो नहीं
लेकिन सोच रही हूं
इस साल तुझसे दोस्ती कर ही लूं
क्या पता तू भी शायद प्यारी लगे
गांव जितनी नहीं थोडी तो अपनी लगे
ऐ मुंबई की बारिश !

- नेहा
 

0 comments: