फ़िर एक नवेली सुबह
अंगडाई लेके
आंगन में आयी
भोर भये ओंस की
चादर ओढे
दूर पहाडोंपर
किसी घर का चुल्हा
धूएं को छोडता
धूप की लकीर में
सुस्त रस्ता जाग उठे
बच्चों के चिलचिलाहट से
सुबहवाली स्कूल
और मुंह से निकले हुए
ठंड के धुंएं
बडी मजेदार है ये
ठंडी वाली सुबह,
गरम चाय की कुल्हड
ठिठुरते हाथ में पकडे
सर्रर्र से गरम चुसकी लेके
और भी मजेदार हो गयी
नेहा
अंगडाई लेके
आंगन में आयी
भोर भये ओंस की
चादर ओढे
दूर पहाडोंपर
किसी घर का चुल्हा
धूएं को छोडता
धूप की लकीर में
सुस्त रस्ता जाग उठे
बच्चों के चिलचिलाहट से
सुबहवाली स्कूल
और मुंह से निकले हुए
ठंड के धुंएं
बडी मजेदार है ये
ठंडी वाली सुबह,
गरम चाय की कुल्हड
ठिठुरते हाथ में पकडे
सर्रर्र से गरम चुसकी लेके
और भी मजेदार हो गयी
नेहा
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