सुबहवाली कच्ची धूप

सुबहवाली कच्ची धूप
गॅलरीसे होके
अंदर यूं झॉंकती है
मानो प्यारी पडोसन
हालचाल पुछ रही है

फ़िर यूं आके अंदर
फ़र्श के कालिन पर
सुस्त सी लेट जाती है
जैसे कोई लाडली बिल्ली

फ़िर अक्सर मैं कामों में
उलझ जाती हूं तो
चुपके से निअल जाती है
कभी कभी गुस्से से
बाहर तपतपाती खडी
मुझे बेहाल बनाती है


नेहा
 

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