फ़ुरसत के पल

एक चुसकी चाय की
सुबहवाली कच्ची धूप के साथ
ये फ़ुरसत का नन्हासा पल
और मैं मेरी प्यारी खामोशी के साथ


फ़िर चढेगा दिन, फ़िर ये नन्हासा पल
कहीं गुम हो जायेगा
इधर उधर न जाने कहॉं
एक और दिन युंही गुजर जाएगा

फ़िलहाल फ़ुरसत के इस पल को
जी लूं
एक चुसकी चाय ही सही
जिंदगी से ये फ़ुरसत चुरा लूं


-नेहा

 

0 comments: